Farming: इस किसान के खेत में 18 फीट का गन्ना, तकनीक जानें |
उनके यहां का गन्ना भी करीब 18-18 फीट लंबा होता है। दतियाना गांव में पारंपरिक खेती से अलग खेती करने वाले किसान के इस मुनाफे को देखते हुए कृषि विभाग ने किसान रजनीश त्यागी को प्रगतिशील किसान की श्रेणी में रखा है. उन्हें विभाग द्वारा कार्यक्रमों में प्रथम स्थान से भी सम्मानित किया गया है।
बेहतरीन उत्पाद के साथ शानदार प्रदर्शन
किसान देवांश ने बताया कि केला तैयार करने में प्रति एकड़ करीब 60 हजार रुपये की लागत आती है. केले का फल अब पूरी तरह पक चुका है और बाजार में करीब साढ़े चार लाख किलो प्रति पाउंड की दर से बिक रहा है. जिसके चलते उनकी खूब तारीफ हो रही है. किसान ने बताया कि इतना ही नहीं उनके खेत में पपीता आदि के पौधे भी लगे हुए हैं. देवांश ने बताया कि उनकी खेती हर मौसम में बहुत अच्छा पुनर्जीवन देती है।
खेती का रकबा तेजी से घट रहा है
गन्ने की पूरी कीमत NEFT या RTGS के जरिए तुरंत हमारे बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद नए जमाने की नई फसल का आकर्षण गांव, खेत और खलिहान से दूर होता जा रहा है. दूसरी ओर, हर घर में बंटवारा होने के कारण खेती का रकबा भी तेजी से घट रहा है। इसलिए, नए तरीकों, तकनीकों और प्रौद्योगिकी के माध्यम से खेती की लागत को कम करना और खेती से आय को बढ़ाना आवश्यक है। कुल 5 हेक्टेयर भूमि के बड़े क्षेत्रफल पर आलू के बाद 0238 प्रजाति का गन्ना बोया गया।
गन्ना विकास विभाग का पूर्ण सहयोग
खेत में गन्ने की लंबाई इतनी बढ़ गई कि उसे खड़ा रखने के लिए 5 जगह बांधना पड़ा. इस सफलता में सबसे महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय बात यह है कि हर कदम पर गन्ना विकास विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों का भरपूर सहयोग मिला। मैं क्षेत्रीय उ.प्र. मेरठ मंडल के. मैं गन्ना आयुक्त डॉ. वी.बी. का बहुत आभारी हूं। सिंह ने दौराला मिल में आयोजित किसान गोष्ठी में गन्ने की खेती में अधिक मुनाफा कैसे प्राप्त करें,
इसके बारे में विस्तार से बताया। उनकी सलाह के अनुसार मैंने बुआई से पहले खेत की उचित तैयारी की। इसके लिए 3 हैरो और 2 टिलर से जुताई की गई. कीटों और बीमारियों से पूरी तरह मुक्त स्वस्थ खेत से अपरिपक्व गन्ने के ऊपरी एक तिहाई हिस्से से बीज चुने गए। बावस्टीन से उपचारित करने के बाद तीन आँखों के टुकड़ों को बीज दिया गया। इसलिए फसल को ग्रास शूट जैसी बीमारियों का खतरा नहीं रहता है.
पूरे खेत से चुने गए 100 गन्ने में से एक से टिश्यू कल्चर बनाया जाता है। टिशू कल्चर का मतलब है कि किसी पौधे के ऊतकों या अंकुरों को प्रयोगशाला की विशेष परिस्थितियों में रखा जाता है, जिनमें बिना किसी बीमारी के बढ़ने और अपने जैसे अन्य पौधे पैदा करने की क्षमता होती है। . सुरेश अपने पूरे खेत से 100 अच्छे (मोटे, लंबे और रोग मुक्त) गन्ने चुनते हैं और उनमें से 10 को स्थानीय प्रयोगशाला में ले जाते हैं,
जहां वैज्ञानिक एक गन्ने का चयन करते हैं और एक वर्ष के भीतर उससे ऊतक तैयार करते हैं। सुरेश कहते हैं, इसके लिए मैं लैब को करीब 8 हजार रुपए देता हूं, वे जो प्लांट बनाते हैं, जिन्हें एफ1 कहते हैं, उनका पहले साल उत्पादन कम होता है।
18 फीट गन्ना करने के लिए क्या करे
फिलहाल केले की फसल बाजार में जा रही है. एक पेड़ से करीब 35 से 40 किलो केले निकल रहे हैं. केले की फसल बाजार में बिकने के बाद गन्ने की फसल बिक्री के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है। उनके यहां का गन्ना भी करीब 18-18 फीट लंबा होता है। दतियाना गांव में पारंपरिक खेती से अलग खेती करने वाले किसान के इस मुनाफे को देखते हुए कृषि विभाग ने किसान रजनीश त्यागी को प्रगतिशील किसान की श्रेणी में रखा है. उन्हें विभाग द्वारा कार्यक्रमों में प्रथम स्थान से भी सम्मानित किया गया है।
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